Saturday, September 9, 2017

Kuch panne kya phate jindagi ki kitab ke....


कुछ पन्ने  क्या फटे ज़िन्दगी  की किताब_के,

ज़माने ने समझा हमारा दौर  ही ख़त्म हो गया ।।

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 तेरे पास ही होगा ज़रा फिर से देख ले...

मेरे सीने से 'दिल'❤आख़िर गया कहाँ....

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मैं रातों के अंधरे में लिखता
हूँ....❣

रौशनी, तेरे ख्यालों की रहती है...😘

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वो दिल में है, धड़कन में है, रूह में है,,,,,,,

सिर्फ “किस्मत” में नही, तो ख़ुदा से गिला कैसा.......!!
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देख कर तुमको अक्सर हमे ये एहसास होता है … 
कभी कभी दुःख देने वाला भी कितना ख़ास होता है 😭 💔 😢

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