ठोकर खाया हुआ दिल है साहब,
भीड़ से ज़्यादा तन्हाई अच्छी लगती है !!
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न देना पनाह कभी गमों को ज़िन्दगी में,
कमबख्त उँगली पकड़ कर हाथ खींच लेते है
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आते हैं मेरे महबूब को जादू कमाल के
_देखो ले गया है मुझको ही मुझसे निकाल के
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आपके दिल के दस्तावेज चाहे किसी के भी नाम के हो…
ऊसपे कब्जा तो सिँफ हमारा ही होगा..
भीड़ से ज़्यादा तन्हाई अच्छी लगती है !!
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न देना पनाह कभी गमों को ज़िन्दगी में,
कमबख्त उँगली पकड़ कर हाथ खींच लेते है
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आते हैं मेरे महबूब को जादू कमाल के
_देखो ले गया है मुझको ही मुझसे निकाल के
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आपके दिल के दस्तावेज चाहे किसी के भी नाम के हो…
ऊसपे कब्जा तो सिँफ हमारा ही होगा..
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