Saturday, September 9, 2017

Shayari

बस कुछ एक पल जिंदगी और ठहरेगी,
तुम्हारा इल्जाम बाकि है, लगाना अब तलक मुझ पr

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चलता आ रहा था सिलसिला प्यार में बर्बाद होने का...
भीड़ देखकर हम भी शामिल हो गए साहब

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‪जितने भी हाथों से हाथ मिला कर गुज़रा हूँ...
‪जैसे अलग-अलग कहानी छू कर गुज़रा हूँ

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बेहद अजीब सा शौक पालती है मेरी जिंदगी,
हर रोज ताजा जख्म सम्भालती है मेरी जिंदगी
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ये नजर उनकी नजर से ऐसी टकरायी के बस..

होश रूखसत हो गये वो बेखुदी छायी के बस..



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